top of page
  • Facebook
  • Instagram
  • X
  • YouTube

Ghazal

By SK

SK

जिंदगी हर कदम इम्तिहान मांगती,
ख्वाब टूटे हुए, फिर भी जान मांगती।

राहें वीरान हैं, साथ कोई नहीं,
दिल मगर हर घड़ी आसमान मांगती।

दर्द ऐसा कि दास्तां बन गई,
पर ये दुनिया मेरी मुस्कान मांगती।

छोड़ आए थे जो जश्न-ए-यादों के ग़म,
आज वही शाम फिर से बयान मांगती।

कौन सुनता यहाँ दिल की तन्हाइयाँ,
हर नजर बस नया एक जहान मांगती।

खुद से लड़ते हुए रात गुजरी मगर,
सुबह रौशन कोई मोड़-ओ-ठिकान मांगती।

"इम्तिहान-ए-ज़िंदगी"
(Imtihaan-e-Zindagi)
(The Trials of Life)

Krunal Solanki

"ख़ामोशियों का सलाम"
(Khamoshiyon Ka Salaam)
(The Salutation of Silences)

जिंदगी हर कदम इम्तिहान मांगती,
ख्वाब टूटे हुए, फिर भी जान मांगती।

राहें वीरान हैं, साथ कोई नहीं,
दिल मगर हर घड़ी आसमान मांगती।

दर्द ऐसा कि दास्तां बन गई,
पर ये दुनिया मेरी मुस्कान मांगती।

छोड़ आए थे जो जश्न-ए-यादों के ग़म,
आज वही शाम फिर से बयान मांगती।

कौन सुनता यहाँ दिल की तन्हाइयाँ,
हर नजर बस नया एक जहान मांगती।

खुद से लड़ते हुए रात गुजरी मगर,
सुबह रौशन कोई मोड़-ओ-ठिकान मांगती।

SK

हर सफर में कोई कहानी छोड़ दी,
ख़्वाब देखे अधूरे निशानी छोड़ दी।

उनकी बातों में छलकता था दर्द-ए-दिल,
हमने सुनकर भी अनजानी छोड़ दी।

चांदनी रात थी, जश्न था, शोर था,
पर तन्हाई ने अपनी रवानी छोड़ दी।

दुनिया के नाम से डरते रहे हम,
दिल की राहों में वीरानी छोड़ दी।

उनके वादों का कोई क़सूर न था,
हमने बस याद की जवानी छोड़ दी।

अब सहर है, मगर धुंध बाकी सी है,
जिंदगी ने वही पुरानी छोड़ दी।

"यादों की रवानी"
(Yaadon Ki Rawani)
(The Flow of Memories)

SK

"मुसाफिर की दास्तान"

(Musaafir Ki Daastaan)
(The Tale of the Traveler)

राहों की बात है, मुसाफिर की दास्तान,
हर मोड़ पर मिली, नई इक पहचान।

ख़्वाबों का शहर था, मंज़िल भी वही,
फिर भी दिल ढूंढे, अजनबी आसमान।

सफ़र ने सिखाई, कुछ ऐसी रवायतें,
ख़ुशी के बीच भी था, दर्द का अहसान।

हर कदम पर लिखी, नई इबारतें,
जिंदगी बन गई, चलती हुई उड़ान।

मोड़ आए हज़ार, रुक ना सके कभी,
दिल ने माना सफर, खुदा का फरमान।

कौन कहता है, मुसाफिर अकेला है,
रास्ते बन गए, हरदम उसके मेहमान।

हर लम्हा कोई किस्सा कहता है,
दरों-दीवार पे साया रहता है।

बंद किताबें चीखें सुनाती हैं,
फटी चादर भी राज़ छुपाती है।

रंगीन काग़ज़ पे धुंधले से ख्वाब,
हर अधूरी कहानी जलाती है।

कभी आँसू, कभी हंसी की सदा,
ज़िंदगी बस यही गुनगुनाती है।

लफ़्ज़ टूटे तो भी कहानी बनी,
खामोशी भी तो शेर सुनाती है।

Kahani | कहानी

Ek Anjaan Safar |

एक अनजान सफर

रास्ते पर कोई निशां नहीं है,
खुद को खो दें तो भी ग़म नहीं है।

साथ चलने का कोई वादा नहीं,
फिर भी मंज़िल से कम नहीं है।

हर कदम पे एक नया मंजर,
ख्वाब जैसे हैं, पर भरम नहीं है।

जो मिले उस पे यकीं कर लेना,
हर शख्स अपना सनम नहीं है।

सफर का अंजाम भी अनजाना,
क्या मिलेगा, इसका गम नहीं है।

हर कदम एक जंग होती है,
हर सांस में आग होती है।

बड़े शौक से देखता है ज़माना,
कैसे खुद से जंग होती है।

दर्द भी है और हौसला भी,
हर हार में उमंग होती है।

जीतते हैं वो लोग आखिर में,
जिनकी हर सुबह संग होती है।

ज़ख़्म गहरे सही, मगर याद रहे,
इनसे ही नई तरंग होती है।

Sangarsh | संघर्ष

"मुरली के स्वर"

(Murli Ke Swar)
(The Melody of the Flute)

मोरपंख का ताज, बांसुरी की तान है,
हर युग में बस वही, प्रेम की पहचान है।

गोकुल की गलियों में रास रचाते रहे,
राधा के दिल में बसते, प्रेम के भगवान है।

यमुना किनारे बाल लीला अनमोल थी,
उसके हर खेल में छुपा, सृष्टि का ज्ञान है।

कभी अर्जुन के सारथी, कभी मित्र बने,
धर्म की राह दिखाने वाले महान है।

माखन चुराने वाले वो नटखट मोहन,
पर हर मुरली के स्वर में अमृत का गान है।

कुरुक्षेत्र की रणभूमि में गीता सुनाई,
जग को बताया कि सत्य का सम्मान है।

काली रातों में भी उजाला दिखा देंगे,
कलियुग के अंधेरों को संभाला दिखा देंगे।

सत्य की राहें अब वीरान हो गईं,
फिर भी इंसान को आईना दिखा देंगे।

धन और लोभ में डूब गई दुनिया,
हम प्रेम से भरी गंगा बहा देंगे।

हर दिल में खंजर, हर बात में दाग है,
हम अपने कर्म से दीप जला देंगे।

भूल गए जो धर्म, सच्चाई, विश्वास,
हम गीता का पाठ दुबारा सिखा देंगे।

कलियुग के इस चक्र में फंसे हैं जो,
उनको मोक्ष की नई राह बता देंगे।

"कलियुग का उजाला" (Kaliyug Ka Ujaala)
(The Light of Kaliyug)

2024 का पैग़ाम
(2024 ka Paigaam)

हर साल की तरह ये साल भी सिखा के जा रहा है,
खुशी के पल, कुछ ग़म हमें देकर जा रहा है।

कुछ अपने बिछड़ गए, यादों में छोड़ कर,
कहीं नए चेहरे से मिलवा के जा रहा है।

गुज़रते लम्हों की कहानी लिख दी इसने,
हर लम्हा ज़िंदगी का सबक बना के जा रहा है।

कभी धूप, कभी छांव का संग था इसका,
हर हाल में जीना सिखा के जा रहा है।

जो बीत गया, उसे भुलाना मुमकिन नहीं,
पर आने वाले कल का ख्वाब दिखा के जा रहा है।

धर्म और अधर्म की वो गाथा महान थी,
हर किरदार में छुपी कोई पहचान थी।

कुरुक्षेत्र की रणभूमि में जो कथा लिखी,
हर शस्त्र में बसी अनोखी जुबान थी।

अर्जुन के संशय को हरने जो आए,
गीता के बोलों में छुपी सृष्टि की जान थी।

कर्ण की दानवीरता का वो अद्भुत शौर,
पर उसकी तकदीर में बस एक बलिदान थी।

द्रौपदी की लाज का जिसने किया प्रण,
उसके हर आँसू में दुनिया हैरान थी।

भीष्म का तप, उनका त्याग अनमोल था,
हर वचन में छुपा उनका धर्म का रोल था।

दुर्योधन के अहंकार ने सब खो दिया,
मिट्टी के महलों ने सत्य को रो दिया।

संजय की दृष्टि से जो सच उजागर हुआ,
हर शब्द में छुपा एक भविष्य का लिखा हुआ।

कृष्ण की चालों ने युद्ध का रुख बदला,
हर नीति में छुपा जीवन का पाठ निकला।

युग-युगांतर तक महाभारत की गूँज रहेगी,
हर दिल को सच्चाई की खोज रहेगी।

इस कथा में छुपा कर्म का फल सिखाया गया,
हर सवाल का जवाब इसमें पाया गया।

"महाभारत की गाथा"

(Dharm Ki Gatha)
(The Tale of Righteousness)

"अशफलता का सफर"

(Ashafalta Ka Safar)
(The Journey of Failure)

अशफलता के साए में भी उम्मीद जगानी है,
हर ग़म की गहराई से राह बनानी है।

जो खो गया उसे रोने से हासिल क्या,
हर हार को नई शुरुआत बनानी है।

दुनिया हंसी तो क्या, ठोकरों से क्या डरें,
खुद को हर मुश्किल में आज़माना है।

रातों के अंधेरे में छुपी है सुबह कहीं,
इन स्याह लम्हों से सवेरा चुराना है।

सपनों की मीनारें यूं ही नहीं खड़ी होतीं,
हर ईंट में मेहनत की चमक दिखानी है।

असफलता तो सिर्फ एक मोड़ की कहानी है,
इस राह पर चलकर मंज़िल को पाना है।

कभी-कभी गिरने से ही उचाई मिलती है,
हर दर्द को मुस्कान में छुपाना है।

जो भी रूठे, उन्हें मानाने की ज़िद नहीं,
खुद को हर बार नया बनाना है।

अशफलता के निशान तो मिट जाते हैं,
बस इरादों से जीत का परचम लहराना है।

एक आदमी, जो हर मंजर से गुज़रता गया,
खुद से लड़कर, जमाने से उभरता गया।

हर दर्द को उसने अपना साथी समझा,
खुशियों की छांव में भी अकेला ही चलता गया।

मिट्टी की खुशबू में उसका घर बसा था,
शहर की रौनक में मगर वो भटकता गया।

मंज़िल के सपने देखे थे उसने कई,
हर रास्ते पर खुद को संभालता गया।

उम्र ने चेहरा झुर्रियों से सजा दिया,
मगर दिल का आईना साफ़ रहता गया।

हर मोड़ पर उसने ज़िंदगी को देखा,
कभी रोता, कभी हंसता, मगर जीता गया।

अब जो जाता है वो हर बात सिखा देता है,
उसकी कहानी सुन हर कोई थम जाता है।

ज़िंदगी का मुसाफ़िर
(Zindagi ka Musafir)

ज़िंदगी का मुसाफ़िर
(Zindagi ka Musafir)

ख़्वाब आँखों में थे, मगर टूटते रहे,
जैसे दरिया में किनारे छूटते रहे।

रात भर चाँदनी से बातें कीं हमने,
और तारे ख़ामोशी से रूठते रहे।

दिल की दुनियां में थी रोशनी की तलाश,
अंधेरे मगर हर गली में लूटते रहे।

वो लम्हे जो साथ चलते थे हर घड़ी,
वक़्त की धूल में कहीं छूटते रहे।

ख़्वाबों का आसमां भी दूर हो गया,
जैसे हर साज़ के सुर टूटते रहे।

अब किसी मंज़र से उम्मीद कम है,
क्योंकि ख़्वाब हर बार झूठ बोलते रहे।

bottom of page